अर यू सब बात नौकर न अपणा मालिक मा जैके बुलिनी। तब घौर का मालिक तैं भौत गुस्सा ऐ, अर वेन नौकर कू बोलि, ‘तू तुरन्त नगर का बजारों मा अर बाटों मा जा, अर उख बटि गरीबों, लूला-लंगड़ो अर अन्धों तैं लेके इख अऽ।’
अर अणजाण लोगु की भि सेवा-भगत करण नि बिसरयां, किलैकि तुमतै पता होण चयेणु कि सेवा-भगत का खातिर कुछ लोगु न बिना जणयां ही स्वर्गदूतों को भि बड़ु आदर-सम्मान कैरी।
तब वु नौकर सड़कों मा चलि गैनी, अर ऊंतैं जथगा भि लोग मिलिनी, अब चै वु भला हो या बुरा जथगा भि लोग मिलिनी ऊं नौकरों न ऊं सब लोगु तैं इकट्ठा कैरी। अर जै घौर मा ब्यौ होणु छौ उ घौर मैमानोंळ भोरी गै।
इलै एक अध्यक्ष इन जीवन ज्यो कि कुई भि वे पर दोष नि लगै सैको, अर वेकी एक ही घरवळी हो अर उ अपणा सरील तैं अपणा काबू मा रखण वळो हो, अर उ लोगु का दगड़ा मा अच्छु बरतौ कैरो। अर लोग वेको आदर-सम्मान कैरा, अर उ एक अच्छु जीवन ज्यो, अर उ मैमानदारी निभौण मा भि खूब हो, अर अच्छी शिक्षा देण वळो भि हो।
तब पतरस उठी के ऊंका दगड़ा मा चलि गै। अर जब उ उख पौंछी, त ऊ लोग वेतैं मंज्यूळ लि गैनी। अर सब विधवा जनानियां वेतैं घेरि के रुंण लगि गैनी, अर वु पतरस तैं कुरता अर कपड़ा दिखौण लगि गैनी, जु की दोरकास न सीली छा, जब वा ज्यून्द छै अर ऊंका दगड़ा मा छै।
अर तब एक बड़ी भीड़ वेका पास ऐ। अर यू लोग अपणा दगड़ा मा लूला-लंगड़ो, अन्धों, अर गूंगों तैं अर इन्नि भौत बिमार लोगु तैं भि लेके ऐनी। अर भीड़ का लोगु न यों तैं यीशु का खुटों का समणि रखी दिनी, अर यीशु न ऊंतैं खूब कैरी।
तब यीशु न फरीसी मुखिया कू बोलि जैको यीशु तैं न्यूत्युं छौ, “जब तू दिन या राति को खाणुक करली, त अपणा दगड़्यों या भैयों तैं नि बुलै अर ना ही अपणा रिश्तेदारों अर सेठ पड़ोसीयों तैं बुलै। कखि इन नि हो कि ऊ भि बदला मा त्वेतै बुलै के खाणुक खिला अर इन कैरिके तब बात बराबर ह्वे जौ।
तब त्वेतै परमेस्वर की तरफा बटि आसीस मिलेली, किलैकि ऊंका पास त्वेतै वापिस लौटाणु कू कुछ भि नि च। मगर मुरदो मा बटि ज्यून्द होण का दिन पर जब धरमी लोग ज्यून्दा होला, तब त्वेतै वेको फल मिली जालु।”