55 अर जब दक्छिण दिसा मा हवा चलदि त तुम बुल्द्यां कि ‘गरम होलु,’ अर ठिक उन्नि होन्दु।
55 अर जब दक्षिणी बथौं चलदी दिखदा त बुल्दा की लूह चललि अर इन ही हूंद।
अर बोलि, ‘साब, यू जु आखिरी मा ऐनी यों न त सिरफ एक घन्टा ही काम कैरी, अर तुमुन ऊंतैं भि हमरा बराबर ही कैरियाली, अर हमुन त पूरा दिन-भर इथगा मेनत कैरी अर तेज घाम मा भि लग्यां रयां?’
पर जब तू दान-दकछिणा दिली, त तेरा दैंणा हाथ तैं पता नि चलु कि तेरु बैं हाथ क्या कनु च,