अर तुम लोग धन को लालच नि कैरा, बल्किन मा जु कुछ भि तुमरा पास च तुम वेमा खुश रा, किलैकि परमेस्वर न खुद इन बोलि कि, “मि त्वेतै कभि भि नि बिसरलु अर ना ही कभि छुड़लु।”
किलैकि सरील की कसरत कैरिके कुछ फैदा त होन्दु च, पर परमेस्वर की भक्ति करण से सब बातों मा फैदा ही फैदा होन्दु। अर जु मनखि परमेस्वर की भक्ति करदु, वेतैं ये जीवन मा अर सदनि का जीवन मा भि फैदा होलु, जु की बाद मा मिलण वळु च अर वेको करार परमेस्वर को कर्युं च।
तुम नास होण वळा खाणु खुणि ना, बल्किन मा वे खाणुक खुणि मेनत कैरा जु कि सदनि का जीवन तक रौन्दु। अर उ खाणुक मनखि को पुत्र ही तुमतै द्यालु, किलैकि यू देणु खुणि पिता परमेस्वर न वेतैं यू अधिकार दियूं च।”
हे मेरा भै-बैंणो, अब मि तुमतै इन बतौण चान्दु, कि यों सब बातों की एक ही बात च अर वा या च कि अगर जु पिता परमेस्वर हमरि तरफा च, त हमरु विरोध करण वळु कुई भि नि ह्वे सकदु।