हे मेरा प्यारा भै-बैंणो, तुम एक साधारण मनखि छाँ, अर पिता परमेस्वर का दगड़ा मा बहस करण को कुई मतलब नि बणदु। अर जब कुई चीज बणयै जान्दी, त वा चीज अपणा मालिक कू इन नि बोलि सकदी कि, “तिन मितैं इन किलै बणै?”
इलै हे इळजाम लगौण वळा लोगु, अब चै तुम जु कुई भि छाँ, तुम लोगु का पास अब कुई जबाब नि रै गै, किलैकि जौं बातों का खातिर तुम दुसरो पर इळजाम लगौन्द्यां, वीं बात मा तुम खुद ही दोषी ठैरैये जैल्या। अर सुणा, तुम दुसरो पर इळजाम लगौन्द्यां, जब कि तुम खुद भि ऊं ही कामों तैं करद्यां।