किलैकि तुम बुल्द्यां कि, मि सेठ छौं अर अपणी कोसिस से मिन भौत दौलत हासिल कैरियाली, अर अब मितैं कैं भि चीज कि जरुरत नि च, मगर तुम इन नि जणद्यां कि तुम लाचार, अर बदकिस्मत छाँ अर भौत गरीब, अन्धु अर नंगा छाँ।
अर झूठ्ठा लोग बेकार कि बात करदिन, अर अपणा गन्दा कामों का द्वारा दुसरा लोगु तैं सरील की बुरी इच्छा मा फंसै देन्दिन। अर अभि-अभि जु लोग सच्चै का बाटा पर चलण लगि गै छा, यू ऊंतैं फिर से भटके देन्दिन।
अर तुमरा आंखा तुमरा सरील खुणि एक द्यू का जन काम करदिन, इलै अगर जु तुमरा आंखा शुद्ध राला त तुमरा पूरा सरील मा उज्याळु होलु, पर अगर जु तुमरा आंखा अशुद्ध राला त तुमरा पूरा सरील मा भि अन्धेरु रालु।
इलै अगर जु तेरु पूरु सरील उज्याळा मा च अर वेको कुई भि अंग अन्धेरा मा नि हो, त तू यू जाणि ले कि यू सभि अंग इन चमकला जन वे बगत होन्दु, जब द्यू अपणी चमक का द्वारा त्वेतै उज्याळु देन्दु।”