“अर अभि तक मिन यू बात तुमतै उदारण देके बतैनि, पर इन्द्रयो बगत औण वळु च, कि तब मि तुम बटि उदारणों मा नि बोललु, पर पिता का बारा मा तुमतै साफ-साफ बतै द्यूलु।
अर हमतै पता च कि परमेस्वर को पुत्र ईं दुनियां मा ऐ, अर वेन हमतै सच्चा परमेस्वर तैं पछ्यणनै की समझ दिनी। अर अब हम सच्चा परमेस्वर का दगड़ा मा रौन्द्यां, किलैकि हम वेका पुत्र यीशु मसीह मा बणयां रौन्द्यां। अर उई सच्चु परमेस्वर अर सदनि को जीवन च।
अर जु लोग सरील की मनसा का मुताबिक चलदिन, ऊ परमेस्वर की पवित्र आत्मा की बातों तैं स्वीकार नि करदिन, इन्द्रया लोगु खुणि यू बात बेमतलब की छिन। मगर यों सब बातों तैं पवित्र आत्मा का द्वारा ही बिंगै जै सकदु।
इलै ऊं पर या औखाण ठिक बैठणी च कि, “कुकर अपणी ही उल्टी तैं चटणु खुणि फिर वापस जान्दु,” अर “सुंगर तैं कथगा भि नह्वा-धुवा, फिर भि उ कीचड़ मा लतपत ह्वे जान्दु।”