किलैकि पिता परमेस्वर न वु काम कैरिके दिखै दिनी, जु काम नियम-कानूनों न नि कैरी सैकी, अर सरील की इच्छा मा ऊंतैं पूरु करण बड़ु कठिन छौ। इलै वेन ये काम तैं पूरु करणु खुणि अपणा पुत्र तैं ईं दुनियां मा एक मनखि का रुप मा भेजि, ताकि एक पापि सरील तैं लेके उ पाप का दण्ड तैं अपणा मथि ले ल्यो, अर हमतै माफी मिली जौ।