2 कुरिन्थि 2:3 - Garhwali3 अर मिन या चिठ्ठी तुमकु ईं बात का खातिर लिखी, कि जब मि औलु त कखि इन नि हो कि जौं लोगु से मितैं खुशी मिलण चयेणी ऊंकी वजै से मि उदास ह्वे जौं, किलैकि मितैं ईं बात पर यकीन च कि जौं बातों से तुमतै खुशी मिलदी, ऊं ही बातों से मितैं भि खुशी मिलदी। Gade chapit laगढवली नयो नियम3 अर मिल यु ही बात तुम तैं इलै लिखीं, कि कखी इन नि हो, कि मेरा आंण पर जौं मा मि तैं खुशी मिलण चयणी च, मि वेमा दुखी नि हवे जौं; किलैकि मि तैं तुम सभियूं पर ईं बात कु विश्वास च कि जु मेरी खुशी च, व ही तुम सभियूं की भि खुशी च। Gade chapit la |
अर येका दगड़ा-दगड़ि हम एक और बिस्वासी भै तैं ऊंका दगड़ा मा भेजणा छां। अर मिन कई बार प्रभु खुणि ये मनखि का काम तैं देखि, अर मितैं वेका बारा मा पता च कि उ प्रभु कि सेवा मा मदद करणु खुणि हमेसा तयार रौन्दु। अर उ भि ईं बात तैं जणदु च कि तुम लोग ये दान तैं दुसरा बिस्वासी लोगु का समणि देण चाणा छाँ, अर यू आदिम यों दुई भैयों का दगड़ा मा औणु खुणि भौत खुश च।
अर मितैं ईं बात कि चिन्ता च कि जब मि तुमरा पास फिर से औलु, अर अगर जु तुमरा बीच मा भौत सा लोग अभि भि अपणा पुरणा पापों मा ही फंस्यां छिन, अर अपणा मनों मा गळत विचार रखदिन, या सरील का गळत सम्बन्ध रखणा छिन, जौन अपणा यों पापों से पस्ताप नि कैरी त मितैं तुमरि खातिर दीन होण पोड़लु, अर पिता परमेस्वर का समणि रुंण पोड़लु।