अर या बात सच्चि च कि मिन तुमरा दगड़ा मा उन बरतौ नि कैरी जन मि दुसरि जगा मा रौण वळा बिस्वासी समुदाय का लोगु का दगड़ा मा करदु, जौं की शुरुवात मेरा द्वारा ही किये गै। अर तुमतै क्या लगदु कि मिन कुछ गळत कैरी? नऽ रे ना, मिन त अपणी जरुरत तैं पूरि करणु खुणि तुम से कुछ नि मांगि, त क्या अब मितैं तुम से माफी मंगण पोड़लि?