सुणा, खेल मा खिलाड़ी घैल भि होन्दु मगर तभि भि उ हार नि मणदु, बल्किन मा वे खेल मा अगनै बढणु रौन्दु, ठिक उन्नि तुम भि हार नि माणा बल्किन मा अगनै बढणा रा।
तब वेका बाद जु हम वे बगत पर ज्यून्दा अर बच्यां रौला, त ऊंका दगड़ा मा बादळु मा मथि उठये जौला, ताकि प्रभु बटि हम आसमान मा मिली सैका अर तब सदनि खुणि हम प्रभु का दगड़ा मा रौला।