अर अणजाण लोगु की भि सेवा-भगत करण नि बिसरयां, किलैकि तुमतै पता होण चयेणु कि सेवा-भगत का खातिर कुछ लोगु न बिना जणयां ही स्वर्गदूतों को भि बड़ु आदर-सम्मान कैरी।
इलै एक अध्यक्ष इन जीवन ज्यो कि कुई भि वे पर दोष नि लगै सैको, अर वेकी एक ही घरवळी हो अर उ अपणा सरील तैं अपणा काबू मा रखण वळो हो, अर उ लोगु का दगड़ा मा अच्छु बरतौ कैरो। अर लोग वेको आदर-सम्मान कैरा, अर उ एक अच्छु जीवन ज्यो, अर उ मैमानदारी निभौण मा भि खूब हो, अर अच्छी शिक्षा देण वळो भि हो।
इलै जैन अपणा मन मा जथगा देण कि सोच्चि वु वेका मुताबिक ही दान द्यो। अर जब तुम ये काम तैं करिल्या त कुड़कुड़ा ना, अर ना ही जोर-जबरदस्ती मा ऐके इन कैरा। अर अगर जु तुम खुश ह्वेके यू दिल्या, त ईं बात तैं जाणि ल्या कि पिता परमेस्वर ऊं लोगु से भौत खुश होन्दु जु खुशी-खुशी से देन्दिन।