अर ना ही तुम मूरतों की पूजा करण वळा बणा, जन कि ऊंमा बटि कथगा ही लोगु न कैरी। अर जन कि पवित्रशास्त्र मा भि ऊं लोगु का बारा मा लिख्यूं च कि, “लोग खाण-पीणु कू बैठिनी, अर उठी के नचण अर मौज-मस्ती करण लगि गैनी।”
किलैकि वु सब लोग ईं बात तैं खुद ही बतौन्दिन, कि जब हम तुमरा इख ऐ छा, त तुमुन हमरु कथगा अच्छु तरीके से स्वागत कैरी छौ। अर इन भि कि कनकै तुमुन मूरत की भक्ति करण छोड़ि दिनी, अर ज्यून्दा अर सच्चा परमेस्वर की भक्ति करण लगि ग्यां।
अर शैतान की बातों का द्वारा हम भकलै नि जा, बल्किन मा हमतै बुरै से बचै के रखा। [किलैकि तुमरो राज अर तुमरि ताकत, अर तुमरो आदर-सम्मान सदनि तक होन्दी रौ। आमीन।]
मगर जु लोग यों पीड़ाओं मा बटि भि बचि गैनी ऊंन फिर भि अपणा-अपणा कामों से पस्ताप नि कैरी बल्किन मा खबेसों अर सोना-चांदी, पीतळ, ढुंगो अर लखड़े की बणि मूरतों तैं पूजणा रैनी, जु कि नऽ त देखि सकदिन, ना सुणी सकदिन, अर ना ही चलि-फिरी सकदिन।
हे मेरा बच्चों, मि तुम खुणि यू सब इलै लिखणु छौं, ताकि तुम पाप नि कैरा। अर अगर कुई पाप करदु त पिता परमेस्वर का पास हम खुणि एक बिन्ती करणु वळु च जु कि वेकी नजर मा धरमी च, याने कि हमरु यीशु मसीह।
अर ऊंका तड़पये जाण को धुंवा हमेसा-हमेसा तक उठणु रालु। अर जु लोग वे दैंत या वेकी मूरत की पूजा करदिन अर वेका नौ की छाप तैं स्वीकार करदिन ऊंतैं दिन-रात चैन नि मिललु।”