हे मेरा भैयों, ठिक इन्नि तुम लोग भि अपणी-अपणी घरवळी का दगड़ा मा बड़ी समझदारी से अपणु जीवन ज्या। अर भले ही वा ताकत मा तुम से थुड़ी कमजोर ह्वे सकदी, मगर तुम वींतैं पूरु आदर-सम्मान द्या, अर ईं बात तैं समझि ल्या, कि पिता परमेस्वर न अपणी किरपा का द्वारा तुम दुईयों तैं वारिस होणु खुणि बुलयूं च। अर इन कैरिके तुमरि प्रार्थनाओं मा कुई रुकावट नि आली।