1 कुरिन्थि 5:1 - Garhwali1 हे मेरा दगड़्यों, तुमरा इख बटि मेरा पास इन खबर ऐ, कि तुमरा बीच मा गळत सम्बन्ध रखै जाणा छिन, अर वु भि इन्द्रया गळत सम्बन्ध जु की वु लोग भि नि रखदिन जु कि बिस्वासी नि छिन। किलैकि मिन इन सुणी कि एक आदिम न अपणी सौतेली माँ तैं अपणु बणैयालि। Gade chapit laगढवली नयो नियम1 इख तक की कुछ लुखुं ल मि मा बोलि, कि तुम्हरी मण्डलि मा कुछ लोग व्यभिचार मा डुबयां छिनी, पर इन व्यभिचार त अन्यजाति लुखुं का बीच मा भि नि हूंद, जन कि एक आदिम अपड़ी सौतेली ब्वे तैं ही रखि लींद। Gade chapit la |
अर मितैं ईं बात कि चिन्ता च कि जब मि तुमरा पास फिर से औलु, अर अगर जु तुमरा बीच मा भौत सा लोग अभि भि अपणा पुरणा पापों मा ही फंस्यां छिन, अर अपणा मनों मा गळत विचार रखदिन, या सरील का गळत सम्बन्ध रखणा छिन, जौन अपणा यों पापों से पस्ताप नि कैरी त मितैं तुमरि खातिर दीन होण पोड़लु, अर पिता परमेस्वर का समणि रुंण पोड़लु।
अर कुछ लोग त इन भि बुल्दिन कि, “पुटगु त इलै ही च कि खाणुक खये जौ, अर खाणुक भि इलै ही च कि पुटगु भुरे जौ।” अर चला, मणद्यां कि या बात ठिक च, मगर औण वळा बगत मा पिता परमेस्वर न यों दुईयों को नास कैरी देण। हे मेरा दगड़्यों, जैका दगड़ा मा तुमरो ब्यौ नि कर्युं वेका अलावा कै दुसरा का दगड़ा मा गळत सम्बन्ध नि रखा, किलैकि या बात तुमरा सरील खुणि ठिक नि च। अर तुम मेरी बात तैं ध्यान से सुणा, केवल प्रभु यीशु ही च जु कि हमरा सरील को मालिक च।
अर यू सब बतौणु खुणि ही मि तुम खुणि इन लिखणु छौं, कि तुमतै इन्द्रया लोगु का दगड़ा मा मेल-जोल नि रखण चयेणु, जु खुद तैं मसीह का लोग बतौन्दिन, मगर दुसरो का दगड़ा मा गळत सम्बन्ध रखदिन, या लालची छिन, अर मूरत पूजा या गळी देण वळा छिन, या फिर दरोळया, दुसरो तैं धोखा देण वळा छिन। अरे, मि तुमतै बतै देन्दु कि इन्द्रया लोगु का दगड़ा मा खाणुक खाण भि छोड़ि द्या।