15 मेरै सागैहाळा कानिऊँ तनै नमस्कार मांडूँ हूँ। बिस्वास म आपणाऊँ परेम राखबाळा सगळा भाईड़ानै म्हारै कानिऊँ नमस्कार खिजे। परमेसर की दया थारै सगळा प बणी रेह्वै।
थारै सगळा प परमेसर की दया होती रेह्वै।
इ आदेस को मकसद ओ ह क, सगळा बिस्वासी परेमऊँ भरज्यावै, जखो पबितर मनऊँ, साप अन्तर-आत्माऊँ अर बिना मिलावट का बिस्वासऊँ पैदा होवै ह।
अर म पोलुस खुदका हाताऊँ थानै “जे मसी की” मांडर्यो हूँ। म साकळा म बंदर्यो हूँ इ बातनै थे याद राखज्यो। परमेसर की दया थारै सागै बणी रेह। “अंय्यांई होज्यावै!”
क्युं क मसी ईसु म नइ तो सुन्नत कराबाळो, अर नइ सुन्नत नइ कराबाळो क्यु मांयनै राखै ह। पण बिस्वास जखो परेम की बजेऊँ काम करै ह बोई मांयनै राखै ह।
म, बिस्वासी मंडळी को मुखियो, आ चिठी लाडला गयुसनै मांडू हूँ , जिऊँ म बिकै सचाई प चालबा की बजेऊँ परेम करूं हूँ।
क्युं क तू जखो परेम परमेसर का मिनखा ताँई राखै ह, अर जखो बिस्वास तू ईसु मसी म राखै बिकै बारां म, म सुणतो रेह्वूं हूँ।
परबु तेरी आत्मा क सागै रेह्वै। थारै सगळा प परमेसर की दया होती रेह्वै।
म आ चिठी तिमूतियूसनै मांडूँ हूँ, जखो बिस्वास म मेरो सचो बेटो ह। तिमूतियूस, तेर प परम-पिता परमेसर अर आपणा परबु मसी ईसु को आसिरबाद, दया अर स्यांती होती रेह्वै।
परबु ईसु की दया थार प होवै।
अर ज थे थारा भाई-भाणा किई आवभगत करो हो जणा इमै काँई गुण-एसान? अंय्यां तो परमेसरनै नइ ध्यारबाळा मिनख बी कोनी करै के?
अर थानै आ बताबा की बी जुर्त कोनी क म मेरा आ हाताऊँई मेरी अर मेरा सात्या की जुर्त पूरी करी।