ओ बंदरगा स्याळा ताँई चोखो कोनी हो इ ताँई घणकराक ओई बिचार कर्यो क हो सकै तो कंय्यां जंय्यां फिनिक्स पुगर स्याळा-स्याळा बठैई रेह्वां। ओ करेती को अंय्यां को बंदरगा हो जिको मुंडो दिखणाद-पाछुणै अर उतराद-पाछुणै म खुलतो हो।
करेत टापू म, म तनै इ ताँई छोडर आयो हो क तू बठै की सगळी बचेड़ी बातानै सुदारै अर मेरी हिदायत गेल हर नगरी म बिस्वासी मंडळी का मुखियानै टाळर जिमेबारी सूपै।