11 ओ जरूरी होगो ह क बाको मुंडो बंद कर्यो जाय। क्युं क बे पिसा कमाबा क चकरां म आपकी सीखऊँ घर-घरनै सई सीख प बिस्वास कोनी करबा दे।
बामैऊँ क्युंक सीखाबाळा, मिनखा क घरा म जार खुदनै बस म नइ राखबाळी लूगायानै आपकै बस म करली हीं, जखी खुदका बुरा करमा म अर इंछ्या म फसेड़ी रेह्वै।
अर बा मिनखा म राड़ होवै ह जाकी मत्ती मारी गई ह, अर जखा सचऊँ दूर होगा हीं, बे सोचीं हीं क, परमेसर की सेवा धन कमाबा को सादन ह।
आपा जाणा हां क नेम-कायदा म मंडेड़ो बि ताँई ह जखो बिकै बस म ह। जिऊँ हरेक मुंडानै बंद कर्यो जा सकै अर सगळा को सगळो जगत परमेसर का दंड को भागी होवै।
फूट गेरबाळा मिनखनै चिता अर ज बो एक बर म नइ मानै जणा बिनै दुसरकै चिता जद बो दुसरकै बी नइ मानै जणा बिऊँ किनारो करले।
बो बिस्वास जोगा परमेसर का समचार म मजबूती क सागै ठिक बंय्यांई बिस्वास करै जंय्यां क बिनै सीखायो गयो ह। जिऊँ क बो ओरानै बी सची सीखऊँ हिमत बंधा सकै। अर जखा सामै होवै बा मिनखा को मुंडो बंद कर बानै मनवा सकै क बे गळत हीं।
परमेसर का कामनै आपका हाता म लेबाळा भंडारी ताँई ओ जरूरी ह क बिमै कोई एब नइ हो। बो घमंड करबाळो नइ होवै, नइ तावळोई ताव खाबाळो होवै, नइ दारूड़ो, नइ मारपीट करबाळो अर नइ पिसा को लालची।
अर ज मसी की सचाई मेरै मांयनै ह जणा अखाया दिसावर म कोईबी इ बात बेई मनै गुमान करबाऊँ कोनी रोक सकै।
अर इकै पाछै बाकी ओर कोई सुवाल बुजबा की हिमत कोनी बगी।
पण बो मिनख जखो मजुरी प लल्ड्यानै चरावै ह, जखो बाको असली मालिक कोनी। बो ल्याळीनै कनै आता देखर लल्ड्यानै एकलोई छोडर भाग छुटै ह। अर ल्याळी बापै झपटो मार बानै तीनतेरा कर दे ह।
“हे कपट राखबाळो धरमसास्तर्यो अर फरिसीयो! थार प धिक्कार ह। थे लोगा का ईस्बर नगरी राज म जाबाळा गेलानै रोको हो। थे नइ तो खुद बि गेलै जाओ अर नइ लोगानै बि गेलै जाबा द्यो।
पण ज कोई खालीहोइड़ी क टाबर-टिकर, दोइती-दोय्ता नहिस पोती-पोता होवै जणा आ टाबरानै सऊँ पेल्या चाए क, अ आपका परवार क सागै भगती को बरताव करै। अर आपका माँ-बाप दादी-दादा की सेवा कर बाकै उपकार को जस दे, क्युं क अंय्यां करबाऊँ परमेसर राजी होवै ह।
अर बे घर-घर हांडर खुदको टेम बरबाद करबो सीखीं हीं, अर इऊँ बी भत्तर बे फाँप मारबो अर दुसरा का काम म टांग अड़ाबो सीखीं हीं, अर जखी बाता क बारां म बात नइ करनी चाए, बाकै बारां म बतळावीं हीं।
बे सच को गेलो छोड दिओ अर अंय्यां खेर क, आपानै ओज्यु जिंदगी पेल्याई मिलगी ह क्युंक बिस्वास्या का बिस्वासनै भंगरा दिआ हीं।