22 अंय्यांई परमेसर बी आपकी झाळ अर नफरतनै नास होबाळा प परगट करबो चावै हो। इकै बावजुद बी बो बा झाळ अर नफरत जोगा नास होबाळा ताँई बोळी सबर करी।
पण थारै म अंय्यां का मिनख घुसगा हीं, जिकै बारां म सास्तर म पेल्याऊँई मांडेड़ो ह क, बानै सजा मिलसी। बे परमेसरनै कोनी मानी अर आपणा परमेसर की दयानै कुकरम करबा ताँई हरी झंडी मानी हीं। बे आपणा परबु जखो आपणो मालिक ह बि ईसु मसीनै मानबाऊँ बी मना करीं हीं।
अर सास्तर म अंय्यां बी मांडेड़ो ह, “ओ बो भाठो ह जखो मिनखानै ठोकर खुवावै, आ बा ढाड ह जखी मिनखानै तळै पटकै ह।” बे ठोकर खावीं हीं, क्युं क बे परमेसर का बचन प कोनी चालीं जि बजेऊँ बे बि मोत को मुंडो देखी हीं, जखी अंय्यां का मिनखा ताँई त्यार करी गई ह।
के खुमारनै इ बात की छुट कोनी क बो माटी की एक लुगदीऊँ एक बरतननै खास मकसद ताँई अर दुसरानै छोटा मोटा काम म आबा ताँई बणावै?
बडा घर म भात-भात का बरतन होवीं हीं, क्युं लकड़ी अर चिकणी माटी का बणेड़ा अर क्युं सोना अर चाँदी का, क्युं खास मोका ताँई अर क्युं घर म रोजकी बरतबा ताँई।
अर बे गैर-यहूदि मिनखानै छुटकारा को चोखो समचार सुणाबा ताँई आपानै रोकै ह। अंय्यां करबाऊँ बाकै पाप को घड़ो भरर्यो ह अर परमेसर को परकोप बापै आग्यो ह।
क्युं क सास्तर म परमेसर फिरोनऊँ बोल्यो हो, “म तनै इ ताँई खड़्यो कर्यो क, म मेरी सक्ति तेरै प दिखा सकूँ अर मेरा नाम को हेलो सगळी धरती प पाड़्यो जावै।”
अर बे लालची होबा की बजेऊँ थानै दिखावटी बाता बोलर थारूँ धन कमासी। अर बाकी सजा तो पेल्याऊँई परमेसर ते कर राखी ह। अर बाको नास बानै उडिकर्यो ह।
क्युं क परमेसर आपणा प आपकी झाळ काडबा ताँई नइ पण परबु ईसु मसी क जरिए पापऊँ छुटकारो पाबा ताँई टाळ्या ह।
अर आपणा परबु का थ्यावसनै छुटकारो समजो, जंय्यां की म्हारो लाडलो भाईड़ो पोलुस बि ज्ञान गेल जखो बिनै मिल्यो हो थानै मांड्यो हो।
अ बाता आ दिखावै ह क परबु, परमेसरनै मानबाळा मिनखानै दुखऊँ बचाबो अर न्यायहाळै दिन ताँई पाप्यानै दुख भोगबा की दसा म राखबो जाणै ह।
अ बा मिनखा की आत्मा ही जखी नूह का टेम म जद बो झाज बणार्यो हो बे परमेसर का कह्यानै कोनी मान्या पण परमेसर बा बेई थ्यावस राख्यो। बस आठ मिनख झाज म बड़्या अर पाणी म डूबबाऊँ बचाया गया हा।
परमेसर की झाळ ईस्बर नगरीऊँ मिनखा का हरेक पाप अर बुराई क खिलाप परगट होवै ह, जखा बुराईऊँ सचनै दबावै ह।
मिनख कूण होवै ह जखो परमेसरनै ओटो जुबाब देवै? के कोई हात की बणाएड़ी चिज बिका बणाबाळानै बुज सकै ह क, “तू मनै अंय्यां क्युं बणायो?”