21 के खुमारनै इ बात की छुट कोनी क बो माटी की एक लुगदीऊँ एक बरतननै खास मकसद ताँई अर दुसरानै छोटा मोटा काम म आबा ताँई बणावै?
पण परबु बिनै बोल्यो, “तू तो जा! क्युं क म इनै गैर-यहूदि, राजा-म्हराजा अर इजरायली मिनखा म मेरो नाम फेलाबा ताँई मेरो दास कर टाळ्यो हूँ।
अर जोड़ला टाबरा क जलमऊँ पेल्या अर बाकै क्युं बी भलो-बुरो करबाऊँ पेल्या परमेसर रिबकाऊँ बोल्यो, “बडोड़ो छोटक्या की सेवा करसी।” परमेसर अंय्यां इ ताँई बोल्यो जिऊँ परमेसर क टाळबा को मकसद पूरो होवै जखो बा दोन्या क करमा गेल कोनी हो, पण इ बात प हो क परमेसर किनै बुलाबा की ध्यारमाली हीं।
खेबा को मतबल ओ ह क परमेसर जिपै दया दिखाबो चावै बिपै दया दिखावै ह अर जिको मन काठो करबो चावै बिका मननै काठो कर देवै ह।
मिनख कूण होवै ह जखो परमेसरनै ओटो जुबाब देवै? के कोई हात की बणाएड़ी चिज बिका बणाबाळानै बुज सकै ह क, “तू मनै अंय्यां क्युं बणायो?”