13 क्युं क ज थे इ नसबर काया का सुभाव गेल जीओ जणा मरस्यो। पण ज थे पबितर आत्माऊँ काया का सुभावनै मार द्यो जणा जिस्यो।
क्युं क जखो काया की बुरी इंछ्या ताँई बोवै ह बो आपकी काया की बजेऊँ नास होबाळी फसल काटसी। पण जखो पबितर आत्मा ताँई बोवै ह बो पबितर आत्मा की बजेऊँ अजर-अमर जीवन की फसल काटसी।
ओ लाडलो, म थानै हात जोड़र खेऊँ हूँ क, थे इ दुनिया म खुदनै परदेसी अर सरणारथी जाणर जीवन जीओ। अर पाप करबा की बुरी इंछ्याऊँ खुदनै बचार राखो, जखी थारै आत्मा क खिलाप लड़ै ह।
पण म तो मेरी कायानै बस म कर मेरै खया म चलाऊँ हूँ, क्युं क कदै अंय्यां नइ हो क म दुसरानै तो परचार करूं पण खुद निकम्मो खुवाऊँ।
आ दया सीखावै ह क आपा बि जीवननै जिमै परमेसर कोनी अर दुनियादारी की बुरी इंछ्यानै छोडर इ जुग म खुद क बस म रेह्बाळो, खराईऊँ भर्यो जीवन जीवां जिमै परमेसर ह,
बे मिनख जखा मसी ईसु का हीं बे आपकी काया की बुरी इंछ्या अर बुरी लालसानै सुळी प चढा दिआ हीं।
थे सच का गेला प चाल्या जणा थारा पाप सुद कर दिआ गया, जणा इब थानै चाए क एक दुसराऊँ भाईचारो राखो अर एक दुसराऊँ खरा हिया क सागै डूँगो परेम राखो।
क्युं क जद आपा मिनख सुभाव क गेल जिर्या हां जणा आपणी पाप भरी इंछ्या नेम-कायदा क जरिए आपणा म काम करबा लागी जिको फळ मोत हो।
दारू पीर मतवाळा मना बणो, क्युं क इऊँ मत्त मारी ज्यावै, पण इकी बजाय पबितर आत्मा म भर्यापूरा होता जाओ।
अर थे खुद जाणो हो क बि टेम थानै कंय्यां को फळ मिल्यो? जिकी बजेऊँ आज थे सरमिंदा हो अर जिको आखरी फळ मोत ह।
परमेसर की पबितर आत्मा को निरादर मना करो क्युं क छुडाबाळा दिन ताँई आ पबितर आत्मा थारै ताँई बिकी जामनी ह, की बो थानै छुड़ासी।
क्युं क पाप की मजुरी तो मोत ह पण आपणा परबु मसी ईसु म परमेसर को बरदान अजर-अमर जीवन ह।
जणा पाछै मेरा लाडला बिस्वास्यो, आपणा प इ काया को कोई एसान कोनी जिऊँ आपा इकै गेलई जीवां।