23 पबितर सास्तर को ओ बचन क, “बिस्वास बि ताँई धारमिक्ता गिण्यो गयो”, खाली बि ताँई नइ
अर अ बाता बामै इ हिसाबऊँ होई जिऊँ बे दुसरा मिनखा ताँई सीख होई, अर आपानै चिताबा ताँई पबितर सास्तर म मांडी गई। क्युं क आपा अंय्यां का जुग म जिर्या हां जिमै अंत सांकड़ोई ह।
हरेक बात जखी पबितर सास्तर म मांडी गई ह, बा आपानै सीख देबा ताँई हीं, जिऊँ जखी थ्यावस अर हिमत सास्तराऊँ मिलै ह, बिऊँ आपानै आस मिलै।
अर अ बाता आपणा ताँई सीख ह क आपा बुरी बाता की इंछ्या नइ करां, जंय्यांकी बे कर्या हा,