7 कोई अंय्यां बी बोल सकै ह, ज मेरो झूठ परमेसर का सच अर बिकी मेमानै बढावै, जणा मनै पापी की जंय्यां नइ दंड्यो जाणो चाए।
नइ, अंय्यां कोनी, ज सगळा मिनख झूठा होवै जणा बी परमेसर सचोई ह। जंय्यां क मंडर्यो ह: “जिऊँ तू तेरी बाता म धरमी होवै, अर जद न्याय करै जणा तेरी जे हो।”
ईसु बिऊँ खयो, “म तनै सची खेऊँ हूँ आज रात मुरगा क बांग देबाऊँ पेल्या तू तीन बार मेरै बारां म खेसी क, ‘म इनै कोनी जाणू।’”
परमेसर आपका मकसद अर आबाळी बातानै जाणबाळा ज्ञानऊँ पेल्याई ते कर्यो, क ईसु थारा हाता म सूप्यो ज्यासी अर थे पापी मिनखा क हाता बिनै पकड़र बिका हाता म किलां ठोकर बिनै सुळी प चढार मार गेरस्यो।