17 बानै स्यांती का गेला को ज्ञान कोनी।”
आपा बिस्वास की बजेऊँ धरमी होगा हां, इ ताँई परबु ईसु मसी क जरिए आपणो मेळमिलाप परमेसरऊँ ह।
जिऊँ बो च्यानणो मोत की छाया म सोबाळा अर अँधकार म जिबाळा प चमकसी अर आपानै स्यांती म लेज्यासी।”
पण सकड़ा बारना को गेलो जीवन कानि जार्यो ह। अर थोड़ा मिनख इ गेलै जार्या हीं।
बाका गेला म नास अर कळेस होवै,
“बाकी आँख्या म परमेसर को डर कोनी।”