12 “सगळा का सगळा रूळगा, बे सगळा बिगड़गा, कोई भलाई करबाळो कोनी, एक जणो बी कोनी!”
क्युं क पेली थे भटकेड़ी लल्ड्या की जंय्यां हा। पण इब थे थारा गुवाळ्या अर थारी आत्मा की रूखाळी करबाळा कनै ओटा आगा हो।
पेल्या ओ तेरै क्युंई काम को कोनी हो, पण इब ओ तेरै अर मेरै दोन्या क काम को ह।
साचली तो आ ह क आपा सगळा बी बाकी जंय्यांई पेल्या बुरी इंछ्या गेल दिन काटर्या हा जखी काया अर मन की इंछ्या होती बिनैई करर्या हा। अर आ सगळा की जंय्यांई आपा बी परमेसर का परकोपनै भोगबा जोगा हा।
इ ताँई इ दासनै जखो ख्याई जोगो कोनी बारनै काडो अर अँधेरा म पटक्याओ। जठै मिनख बार घाली अर दांत पिसै ह।’
कोई स्याणो कोनी। “परमेसरनै ढुंढबाळो कोई कोनी!”
“बाको गळो खुली कबर ह, बे आपकी जबानऊँ छळ करै।” “बाका होठा प साँप को झेर रेह्वै ह।”