11 कोई स्याणो कोनी। “परमेसरनै ढुंढबाळो कोई कोनी!”
क्युं क मसीनै मानबाऊँ पेली आपा बी बेबुदी का, खयो नइ मानबाळा, भटकेड़ा अर हरतर्या की मो-माया का गुलाम हा। आपणो जीवन बुराई अर बळोकड़ा पुणाऊँ भरेड़ो हो। अर आपा एक दुसराऊँ नफरत करता हा।
काया प मन लगाबो तो परमेसरऊँ बेर बांदबो ह, क्युं क आ नइ तो परमेसर का नियमा प चालै अर नइ कदै चाल सकै।
इ बातनै बी आपा जाणा हां क परमेसर को बेटो ईसु मसी आयो अर आपानै समज दिओ जिऊँ आपा सचा परमेसरनै जाण सकां, अर आपा बिकै सागै रेह्वां जखो सचो ह, मतबल ईसु मसी क सागै। ओई सचो परमेसर अर अजर-अमर जीवन देबाळो ह।
अर अठै ताँई बे परमेसरनै जाणबा को मोल कोनी जाण्या जणाई परमेसर बी बानै बाकी फालतु सोच प छोड दिओ, अर बे जखी नइ करनी चाए बे बाता करीं हीं।
बे बोलीं हीं क बे स्याणा हीं, पण बे तो मूरख हीं।
गेला क बिचमै पड़्या बीज बा मिनखानै परगट करै, जखा सुणै ह क परमेसर मिनखा क मना म कंय्यां राज करै ह पण बिनै समजै कोनी बे जोक्यु सुण्या बिनै आर सेतान भूला देवै ह।
जंय्यां की पबितर सास्तर म मंडेड़ो ह, “कोई धरमी कोनी, एकई कोनी!”
“सगळा का सगळा रूळगा, बे सगळा बिगड़गा, कोई भलाई करबाळो कोनी, एक जणो बी कोनी!”