10 जंय्यां की पबितर सास्तर म मंडेड़ो ह, “कोई धरमी कोनी, एकई कोनी!”
क्युं क सगळा पाप कर्या अर परमेसर की मेमाऊँ दूर होगा।
क्युं क हियाऊँ बुरा बिचार, हत्या, रंडीबाजी, कुकरम, चोरी, झूठी गुवाई अर बुराई निकळै ह।
क्युं क मसीनै मानबाऊँ पेली आपा बी बेबुदी का, खयो नइ मानबाळा, भटकेड़ा अर हरतर्या की मो-माया का गुलाम हा। आपणो जीवन बुराई अर बळोकड़ा पुणाऊँ भरेड़ो हो। अर आपा एक दुसराऊँ नफरत करता हा।
ईसु बिऊँ बोल्यो, “तू मनै चोखो क्युं बोलै ह? परमेसरनै छोडर कोईबी चोखो कोनी,
क्युं क पबितर सास्तर म मंडेड़ो ह, “थे पबितर बणो, क्युं क म पबितर हूँ।”
नइ, अंय्यां कोनी, ज सगळा मिनख झूठा होवै जणा बी परमेसर सचोई ह। जंय्यां क मंडर्यो ह: “जिऊँ तू तेरी बाता म धरमी होवै, अर जद न्याय करै जणा तेरी जे हो।”
पण जादू-टोणा करबाळा, हत्यारा, कुकरमी, मूरती धोकबाळा अर बे हरेक जखा झूठनै चावै ह अर बिपै चालै ह बे हड़कायड़ा गंडक की जंय्यां हीं अर बे नगरी क बारनै रेह्सी।
पण डरपोक, परमेसर म बिस्वास नइ करबाळा, भरस्ट, हत्यारा, कुकरमी, जादू-टोणा करबाळा, मूरती धोकबाळा अर झूठा मिनखानै तिजाब हाळा नरक का भबकती आग का कूंड म गेर्यो जासी। आई दुसरी मोत ह।”
जंय्यां क पबितर सास्तर म मंडेड़ो ह, “परमेसर बानै बेचेत मिनखा कोसो मन दिओ।” “अंय्यां की आँख्या दि जानै सुजै कोनी अर अंय्यां का कान दिआ जखा सुण कोनी सकै हा। अर आ दसा आज ताँई बणेड़ी ह।”
कोई स्याणो कोनी। “परमेसरनै ढुंढबाळो कोई कोनी!”