1 किंखिरीआ की बिस्वासी मंडळी की सेवा करबाळी आपणी बिस्वासी भाण फिबे की थारूँ सिपारीस करूं हूँ।
पोलुस क्युंक दिन कुरन्थी म रेह्बा क पाछै भायाऊँ बिदा होर परसकीला अर अकविला क सागै किंखिरीआस आयो अर बठै आपको सीर मुंडायो क्युं क बो कोई मन्नत माँगी ही। पाछै पाणी का झाज प सवार होर सिरीया ताँई रवानगी करी।
अर मानल्यो कोई बिस्वासी भाई नहिस कोई बिस्वासी भाण भूखो तिसायो अर उघाड़ो होवै,
अर बूडी-ठेरी लूगायानै माँ जंय्यां अर जवान लूगायानै पूरी खराई क सागै भाण समजर बरताव कर।
क्युं क जखा बी मिनख मेरा ईस्बर नगरी परम-पिता की इंछ्या गेल चालै ह बेई मेरा सागे भाई-भाण अर माँ ह।”
के म्हें खुद म्हारी बडाई करर्या हां? नहिस म्हें दुसरा मिनखा की जंय्यां चापलुसी की चिठी मांडर थानै देवां नहिस थारूँ ल्यां?
अर हेरोद का मुनिम खुजा की लूगाई योअन्ना, अर सुसन्ना ओर बी बोळी ही। अ सगळी लूगाया आपका बळबूता पई ईसु अर बिका चेला की मदद करती।
बिनै अठैई इ जुग म सो गुणा घर, सागे भाई-भाण, माँ, टाबर-टिकर अर खेत मिलसी अर सागै की सागै अजर-अमर जीवन मिलसी।
म्हारी भाण अफिया, म्हारो सिरी अरखिप्पुस जखो सिपाई ह अर थारा घरा भेळी होबाळी मसी बिस्वासी मंडळीनै मांडां हां।