1 जखा बिस्वास म कमजोर हीं बानै बी सागै राखो, पण बाका मतापै बहस मना करो।
आपा जखा बिस्वास म मजबूत हां, आपानै चाए क जखा बिस्वास म कमजोर हीं बानै सेण करां। आपा खुदनैई राजी नइ करां।
अर म बिस्वास म कमजोर ताँई कमजोर बण्यो जिऊँ म बानै मसी म ल्या सकूँ अर म मिनखा ताँई क्युंना क्युं बण्यो जोक्यु हो सकै हो बो म कर्यो की म बामैऊँ क्युंकनै बचा सकूँ।
जणा परमेसर की मेमा करबा ताँई एक दुसरानै अपणाल्यो, जंय्यां क मसी थानै अपणायो हो।
मास नइ खाबो चोखो ह, दारू नइ पीबो चोखो ह अर क्युं बी अंय्यां को काम जखो तेरा बिस्वासी भाईनै ठोकर खुवावै नइ करबो चोखो ह।
अर ज कोई थानै मसी की सीख कोनी देवै जणा थे बि मिनखनै थारै घर म मना आबा द्यो अर नइ बिकी आवभगत करज्यो।
बो चोखी तर्या जाणतो हो क बिकी काया सो बरस की बूडी मरियलसी होगी अर सारा बांझ ह, इकै बावजुद बी बिस्वास म बिना हाल्या
आ नान्या मऊँ एकनै बी पाप म गेरबाळा ताँई ओ चोखो ह क बिकी नाड़ म घरट घालर बिनै समदर म गेर दिओ जावै।
ईसु तावळासा हात बढार बिनै पकड़ लिआ अर बिऊँ बोल्या, “हे थोड़ो बिस्वास राखबाळा तू भेम क्युं कर्यो?”
जद ताँई बो धरती प धारमिक्ता नइ फेलादे बो खिनई नास कोनी करै। चाए कोई अटकेड़ी पान्नी की जंय्यां हो नहिस दिआ की बुत्तबाळी लोय की जंय्यां कमजोर हो।
परबु म राजी होर भाई-भाई की जंय्यां बिऊँ मिलीयो अर बिकै जंय्यां का मिनखा को मान करिओ।
म थारूँ सची बोलुँ हूँ, जखो बी बानै मानै जखानै म भेजूँ हूँ बो मनै बी मानै ह अर जखो बी मनै मानै, बो मनै भेजबाळानै बी मानै ह।”
“सुणो थे मेरो खयो मानबाळानै निचो मना जाणो क्युं क ईस्बर नगरी दुत थारो लेखो-जोखो मेरा परम-पितानै देवै ह।
बे चिजा हिया म कोनी जावै पण पेट क मांयनै जावै अर निकळ जावै ह।” अर बो अंय्यां बोलर खाबाळी सगळी चिजानै सुद बतायो।
बठै का रेह्बाळा म्हारै सागै चोखो बरताव कर्या, क्युं क मी बरस्बा की बजेऊँ ठंड ही, जणा बे म्हारै ताँई बास्ते बाळी अर म्हारी आवभगत करी।
क्युं क बानै नकार्यो जाबो जगत का बाकी मिनखा को परमेसरऊँ मेळमिलाप करवावै ह, जणा बानै अपणायो जाबो मरेड़ा मऊँ ओज्यु जीलाबो कोनी होसी के?
क्युंक मिनखा को बिस्वास बानै सक्यु खाबा की इजाजत देवै ह, पण जखो बिस्वास म कमजोर ह बो साग-पातई खावै।
जखा सक्यु खावीं हीं बे बाको तिरस्कार नइ करै जखा साग-पात खावीं हीं। अर साग-पात खाबाला बानै गळत नइ बतावै जखा सक्यु खावीं हीं। क्युं क परमेसर बानै अपणायो ह।
मेरा लाडला बिस्वास्यो, म्हें थानै समजावां हां क, जखा कामऊँ जी चुरावै ह बानै समजाओ, डरपोकानै हिमत बंधाओ, माड़ानै समाळो अर सगळा क सागै नरमाई बरतो।
पण रोटी तो स्याणा ताँई होवै, जखा सीखता सीखता भला-बुरा म भेद करबो जाणज्यावीं।