अंताकीया की बिस्वासी मंडळी म परमेसर की खेबाळा अर उपदेस देबाळा कई हा, जंय्यां की बरनाबास, समोन जिनै काळ्यो बी बोलता हा अर कुरेन को लूकियुस अर देस की चोथी पाँती को राजपाल हेरोद को गोद आयड़ो भाई मनाएम, अर साऊल।
एक बिस्वासी मंडळी का रूखाळा परधान म आँगळी टेकबा की झघा नइ हो, बिकै एकई लूगाई हो, खुदनै बस म राखबाळो, थ्यावस राखबाळो अर मरियादा म रेह्बाळो, बो आपकै घर म अणजाण की बी आवभगत करै, बो सीखाबा म निधान हो।
अर इ गुवाईनै गैर-यहूदि मिनखानै सुणाबा ताँई म एक सचा बिस्वास की सीख देबाळो अर ईसु को भेजेड़ो चेलो बणायो गयो हूँ। जिऊँ म बिस्वास का समचार अर सच को हेलो पाड़ सकूँ। म झूठो कोनी हूँ म सच बोलर्यो हूँ।
अर परमेसर बिस्वासी मंडळी म न्यारा-न्यारा मिनखानै न्यारा-न्यारा पद दिओ ह, पेलानै भेजेड़ा चेला को, दुसरानै परमेसर की बात बताबा को, तीसरानै गरूजी को अर कोईनै चमत्कार का काम करबाको, अर कोईनै निरोगा करबाको, अर कोईनै मदद करबाको, अर कोईनै बेबस्ता करबाको तो कोईनै न्यारी-न्यारी बोली बोलबा को काम सोप्यो ह।
जणा इब थे बिस्वासी मंडळी का रूखाळा हो आ जिमेदारी थानै पबितर आत्मा सूपी ह। बा लल्ड्या का रेवड़ा का गुवाळ्या बणो, जिनै परमेसर आपका बेटा का लोयऊँ मोल लिओ ह।
एक रात बो ईसु कनै गयो अर बिऊँ बोल्यो, “गरूजी, म्हें जाणा हां क म्हानै सीखाबा ताँई परमेसर तनै भेज्यो ह। अर ज परमेसर थारै सागै नइ होतो तो थे चमत्कार कोनी कर सका हा।”