अर ज म परमेसर की बाता बताऊँ अर म सगळा भेद खोल सकूँ अर सगळो ज्ञान बी जाणल्युं, अर मनै अठै ताँई बिस्वास बी होवै क म डूँगरानै हटा सकूँ हूँ, पण परेम कोनी करूं, जणा म क्युंई कोनी।
अंताकीया की बिस्वासी मंडळी म परमेसर की खेबाळा अर उपदेस देबाळा कई हा, जंय्यां की बरनाबास, समोन जिनै काळ्यो बी बोलता हा अर कुरेन को लूकियुस अर देस की चोथी पाँती को राजपाल हेरोद को गोद आयड़ो भाई मनाएम, अर साऊल।
जणाई तो परमेसर को ज्ञान बोलै ह, ‘म बाकन परमेसर की खेबाळा अर बानै भेजस्युं जखा भेजेड़ा खुवावीं हीं।’ अर बे बामैऊँ क्युंकनै तो मार देसी अर क्युंकनै दिन घालसी।