अंय्यांई ओ जवानो थे बिस्वासी मंडळी का मुखिया क खया म चालो, थे छोटा बणर एक दुसरा की सेवा करो, क्युं क, “परमेसर गुमान करबाळा क खिलाप ह, पण जखो मिनख खुदनै छोटो बणावै ह बिकै उपर परबु दया करै ह।”
म बोळी ताजूबभरी बाता देखबा की बजेऊँ गुमान नइ करूं इ ताँई मेरी काया म रोग की एक दरदनाक पिड़ा दिनी गई ह, जखी सेतान का एक दुत की जंय्यां मनै मारबा को काम करै ह। पण आ मनै खुद प गुमान करबाऊँ बचावै ह।
अर आज म जोक्यु बी हूँ परमेसर की दयाऊँ हूँ, अर बिकी दया मेर ताँई बेकार कोनी गई म दुसरा भेजेड़ा चेलाऊँ बढचढ'र मेनत करी ह। पण आ मेरी काबलीयत कोनी आ तो परमेसर की दया ह।
बो फरिसी नाकैई खड़्यो होर अंय्यां खेर अरदास करबा लाग्यो, ‘परमेसर थारी जे हो, क म दुसरा की जंय्यां लोभी, दुसरा को बुरो करबाळो, कुकरमी कोनी अर नइ म इ चुंगी लेबाळा की जंय्यां हूँ।