15 जणाई म थारै म जखा रोम म रेहर्या हो, बि चोखा समचार को परचार करबा ताँई उतावळो हूँ।
मेरी सदाई आ मनस्या ह क म बठै चोखा समचार को हेलो पाड़ूँ जठै कोई मसी को नामई कोनी जाणै, इकी आ बजे ह क म कोई दुसरा मिनख की धरेड़ी निम प चिणाई नइ करूं।
अर ज ओ काम म मेरी इंछ्याऊँ करूं हूँ जणा म इको फळ पाबा जोगो हूँ। पण म ओ काम फरज क रूप म करूं हूँ क्युं क परमेसर मनै ओ काम सूप्यो ह।
इ ताँई थे खेत का धणी परमेसरऊँ अरदास करो जिऊँ बे लावणी करबा ताँई ध्यानग्यानै भेजै।”
थे जोक्यु बी थारी हिया की इंछ्याऊँ द्यो हो जणा बो अपणायो जावै ह। अर मेरो खेबो तो ओई ह क थारी पायना गेलई दिज्यो बिऊँ बेसी देबा की जुर्त कोनी।
जठै ताँई होवै सगळा मिनखा क सागै स्यांतीऊँ रेह्ओ।
पण पोलुस बाऊँ बोल्यो, “थे ओ काँई करो हो? आ ढंगा रो-रोर थे मेरो मन कचो करो हो, म तो परबु ईसु का नामऊँ यरूसलेम म खाली बंदि बणबा ताँई नइ पण मरबा ताँई बी त्यार हूँ।”
ईसु बाऊँ बोल्यो, “मेरी रोटी आ ह क, म मेरा भेजबाळा की इंछ्या मानू अर बिको काम पूरो करूं।
अर जोक्यु बिकै बस म हो बा करी। आ मनै गाडबाऊँ पेल्या मेरी काया प ईतर उंदकार मेरो अभिसेक करी ह।
अर सुणाबाळानै बिना भेज्या बे कंय्यां सुणा सकीं हीं? जंय्यां क पबितर सास्तर म मंडेड़ो ह, “चोखा समचार को हेलो पाड़बाळा का पग कत्ता सोवणा हीं।”