इकै पाछै परमेसर का मनदरनै जखो ईस्बर नगरी म ह बिनै खोल्यो गयो, अर मनै मनदर म करार हाळी पेटी दिखी। बिकै पाछै बिजळी को पळको आयो, बिजळी की कड़कबा की उवाज आई अर बादळ की गरजबा की उवाज होई, भूचाळ आयो अर ओळा बरसबा लाग्या।
इकै पाछै म देख्यो क मेरै सामै मिनखा की बोळी बडी भीड़ ही जिनै कोईबी कोनी गिण सकतो हो, बि भीड़ म सगळा कूणबा का मिनख, देस, बोली, अर हर दिसावर का मिनख हा , जखा बि सिंघासन अर उन्या क सामै खड़्या हा। बे धोळा गाबा पेरमाल्या हा अर हाता म खजूर की डाळ्यां ले राख्या हा।