“खुराजीन अर बेतसदा म रेह्बाळा मिनखा प हाय ह अत्ता-अत्ता ताजूब का काम आ नगर्या म कर्या गया, ज अ काम सूर अर सैदा नगर्या म कर्या जाता जणा बठै का मिनख बोरी का गाबा पेर'र खुद प राख बुरकार, कदकाई दिखा देता क बे पापऊँ तौबा कर लिआ हीं।
जद चोथो ईस्बर नगरी दुत जंय्यांई तूताड़ी फूंकी जणा एक तिहाई सूरज, चाँद अर तारा प विपदा आई। अर बाको एक तिहाई भाग काळो होगो जिकी बजेऊँ एक तिहाई दिन अर रात म अँधेरो छागो।