नगरी क गळ्या क बिच मऊँ भेरी ही। इकै दोनू किनारा प जीवन देबाळो दरखत लागर्यो हो। बापै हर म्हेना बारा भात का फळ लागता हा। अर दरखत का पत्ताऊँ सगळा देसा का मिनख निरोगा होता हा।
जखो जीतै ह बिनै म मेरा परमेसर को पबितर तम्मू को खम्बो बणास्युं। अर बिकै पाछै बे कदैई बारनै कोनी जासी। म बिकै उपर मेरा परमेसर को नाम, नई नगरी यरूसलेम जखी परमेसर की ईस्बर नगरीऊँ उतरबाळी ह बिको नाम अर मेरो नयो नाम मांडस्युं।
जखा मिनखा को नाम बि उन्या की जीवन हाळी पोथी म कोनी मांडेड़ो बे सगळा मिनख इ डरावना जानबरनै धोकसी। ओ उन्यो जखो इ सरस्टि की सरूआतऊँई बलि होबा ताँई ते कर्यो गयो हो।
जिकै कान ह बे बानै खोल ले क, पबितर आत्मा बिस्वासी मंडळ्याऊँ काँई बोलै ह। जखो बी बुराईऊँ जीतसी म बिनै जीवन का दरख्त को फळ खाबा को हक देस्युँ जखो परमेसर का बाग म ह।