12 ईसु सगळा मिनखाऊँ बोलै ह, “सुणो, म तावळोई आऊँ हूँ। अर सागै थारा करमा गेल थारै ताँई फळ ल्याऊँ हूँ।
जद मिनख को बेटो ईस्बर नगरी दुता क सागै परम-पिता की मेमा म आसी जणा बो मिनखानै बाका कामा गेल फळ देसी।”
जिको काम बि आग म टिक्यो रेह्सीक बिनै फळ मिलसी।
सिचबाळा अर बीज बोबाळा म कोई फरक कोनी। हरेकनै परमेसर बाकी मेनत गेल मजुरी देसी।
ईसु कह्यो, “सुणो! म तावळोई आऊँ हूँ। भागहाळा ह बे जखा इ पोथी म मांडेड़ा बचनानै जखा आबाळा टेम म पूरा होबाळा हीं बानै मानी हीं।”
आपणा मऊँ हरेकनै परमेसर क सामै खुदको हिसाब देणो पड़सी।
देस-देस का मिनख झाळ्या म भर्या पड़्या हा। थे झाळ्या भर्या , पण इब थारो न्याय करबा को टेम आगो, जिऊँ मरेड़ा को न्याय कर्यो जावै। अर तेरा मिनखा को, थारी खेबाळा को अर बाको जखा थारा नाम को डर मान्या करता हा बदलो लिओ जावै। बानै फळ दिओ जावै अर जखा धरतीनै खराब कर्या हीं बाको नास कर्यो जावै।”
इकै पाछै म छोटाऊँ लेर बडा ताँई का सगळा मरेड़ा मिनखानै देख्यो। बे बि सिंघासन क सामै खड़्या हा , जणा क्युंक पोथ्या खोली गई। आकै पाछै एक ओर पोथी खोली गई, जखी जीवन की पोथी ह। अर बाका करमा गेल जखा इ पोथी म मांड्या गया हा, मरेड़ा को न्याय कर्यो गयो।
ईसु जखो आ बाता को गुवा ह बो खेवै ह, “हाँ, म तावळोई आऊँ हूँ।” अंय्यांई होवै। ओ परबु ईसु, आ।
म बिका टाबरानै मार गेरस्युं। जणा सगळी बिस्वासी मंडळ्या आ जाण ज्यासी क म हिया अर बुदीनै जाणबाळो हूँ। अर म हरेकनै बाका करमा गेल बदलो देस्युँ।
म तावळोई आबाळो हूँ। इ ताँई जोक्यु बी तेरै कनै ह बिनै थाम्यो राख जिऊँ कोई तेरो अजर-अमर जीवन को मुकट कोनी खोस सकै।