जिकै कान ह बे बानै खोल ले क, पबितर आत्मा बिस्वासी मंडळ्याऊँ काँई बोलै ह। जखो बी बुराईऊँ जीतसी म बिनै जीवन का दरख्त को फळ खाबा को हक देस्युँ जखो परमेसर का बाग म ह।
जद ईसु बठैऊँ निकळर गेला म जार्यो हो बठै एक मिनख भागतो होयो ईसु कनै आयो अर बो गोडा टे'कर हात जोड़र ईसुऊँ बुजबा लाग्यो, “ओ चोखा गरूजी म अजर-अमर जीवन पाबा ताँई काँई करूं?”