4 ‘बो बाकी आँख्याऊँ सगळा आसु पुछ देसी। इब बठै मोत कोनी होसी’ अर नइ दुख, रोबो अर पिड़ा होसी। क्युं क सगळी पुराणी बाता जाती री।”
क्युं क जखो उन्यो सिंघासन क बिचमै ह, बो बाको गुवाळ्यो होसी, अर बो बानै जीवन देबाळा पाणी का झरना कनै लेज्यासी। अर परमेसर बाकी आँख्या का सगळा आसु पुछ देसी।”
आखीर म आखरी बेरी मोत को नास कर्यो ज्यासी।
आ दुनिया अर इकी बुरी इंछ्या नास होज्यासी, पण जखो बी मिनख परमेसर की इंछ्या प चालै ह बिको कदैई नास कोनी होसी।
अकास अर धरती टळ ज्यासी पण मेरी बाता कोनी टळै।
इकै पाछै म एक नई ईस्बर नगरी अर धरतीनै देख्यो। पेलड़ी ईस्बर नगरी अर पेलड़ी धरती कोनी री, अर समदर बी कोनी रिह्यो।
इकै पाछै मोतनै अर पताळनै आग का कूंड म गेर दिओ गयो। ओ आग को कूंडई दुसरी मोत ह।
बठै कोईबी सराप कोनी होसी। परमेसर अर उन्या को सिंघासन बि नगरी म होसी, अर बिका दास बिकी भगती करसी।
परबु क ओज्यु आबा को दिन चोर की जंय्यां चाणचुक आज्यासी। बि दिन आसमान जोरऊँ गरजसी अर बो सुजसी कोनी। अर आसमान म जत्ता बी गरह ह बे तपर पिघळ ज्यासी, अर आ धरती अर इपै जोक्यु बी ह बो सक्यु बळ ज्यासी।
अर जखा इ दुनिया की चिजा का मजा लेर्या हीं, बे अंय्यां रेह्वै क बे चिजा बाकै काम की कोनी। क्युं क इ दुनिया का रिती-रिवाज जाता रेह्सी।
इ ताँई थे परमेसर म बिस्वास नइ करबाळा मिनखा मऊँ निकळ्याओ, बाऊँ दूर रेह्ओ। परबु बोलै ह, बा चिजा क हात मना अड़ाज्यो जखी असुद ह। जणाई म थानै अपणास्युं।
इ ताँई इब जखो बी मसी म ह बो नई सरस्टि ह। गेलड़ी बाता बितगी। अर इब सक्यु नयो ह।
आ बात ओज्यु इ बातनै बतावै ह क जखो रच्यो गयो ह मतबल जखी चिजा हालबाळी ह नास होज्यासी। अर बेई चिजा बचसी जखी हालबाळी कोनी।
जखा मिनख समदर म मरगा हा, बानै समदर दे दिओ अर मोत अर पताळ बी मरेड़ा मिनखानै दे दिआ। अर बा हरेक को न्याय बाका करमा गेल कर्यो गयो।