नगरी क गळ्या क बिच मऊँ भेरी ही। इकै दोनू किनारा प जीवन देबाळो दरखत लागर्यो हो। बापै हर म्हेना बारा भात का फळ लागता हा। अर दरखत का पत्ताऊँ सगळा देसा का मिनख निरोगा होता हा।
क्युं क गैर-यहूदि मिनखा ताँई मसी ईसु को दास होर म परमेसरऊँ मिलेड़ा चोखा समचार को हेलो पाड़बा ताँई एक याजक की जंय्यां काम करूं हूँ, जिऊँ गैर-यहूदि मिनख पबितर आत्मा क जरिए पूरा का पूरा पबितर होर परमेसर क चढबा जोगो चढावो बण सकै।