बा लूगाई लाल रंग का बैंगणी गाबा पेरमाली ही। बा हिरा मोत्याऊँ, सोना, चाँद्याऊँ खुदको सिंगार करमाली ही। बिकै हात म सोना को प्यालो हो बो प्यालो सूगली बाताऊँ अर कुकरम की चिजाऊँ भरेड़ो हो।
नगरी क गळ्या क बिच मऊँ भेरी ही। इकै दोनू किनारा प जीवन देबाळो दरखत लागर्यो हो। बापै हर म्हेना बारा भात का फळ लागता हा। अर दरखत का पत्ताऊँ सगळा देसा का मिनख निरोगा होता हा।