27 अर बो लौ को डंडो लेर बापै राज करसी। अर बो बानै माटी का बरतना की जंय्यां फोड़ गेरसी। ओ बोई हक ह जखो मनै मेरा परम-पिताऊँ मिल्यो ह
बा लूगाई एक छोरानै जलम दिनी बो लौ का राजदंड क सागै सगळा देसा का मिनखा प राज करबाळो हो। अर बि लूगाई का टाबरनै हात्युहात परमेसर अर बिका सिंघासन क सामै लेज्यायो गयो।
पाप्यानै मारबा ताँई बिकै मुंडाऊँ एक पेनी तलवार बारनै निकळरी ही। “बो लौ का लठ का जोर प बापै राज करसी।” सऊँ सक्तिसाली परमेसर, जखो बाका पाप की बजेऊँ बुर्यां झाळ्या भर्यो ह बि ताँई बो बानै अंय्यां पिससी जंय्यां अँगूरानै रसकूंड म पिस्योज्यावै ह।
मेरै हाता म मेरो परम-पिता सक्यु सूप्यो ह अर परम-पिता क अलावा कोईबी बेटानै कोनी जाणै अर कोईबी बेटा क अलावा परम-पितानै कोनी जाणै। अर बे मिनख बापनै जाणै ह जिनै बेटो बतावै ह।”
ओ परम-पिताजी, जखा मिनख थे मनै सूप्या हो म चाऊँ हूँ क बे बी बठै मेरै सागै होवीं जठै म हूँ, जिऊँ क बे बि मेमानै देख सकीं जखी थे मनै दिआ हो, क्युं क इ सरस्टिनै रचबाऊँ पेली थे मेरूँ परेम कर्यो।
राज करबा ताँई म थानै बो हक देर्यो हूँ जखो मेरा परम-पिताऊँ मनै मिलेड़ो ह।