1 इकै पाछै मनै ईस्बर नगरी म बोळासारा मिनखा को एकसागै हेलो सुण्यो, बे जोरऊँ बोलर्या हा, “हालेलुया! परमेसर की जे हो, जे हो! क्युं क छुटकारो, सक्ति अर मेमा बेई देवै ह।
सातुओ ईस्बर नगरी दुत जद तूताड़ी फूंकी जणा ईस्बर नगरीऊँ जोरको हेलो आयो, “इब इ धरती प परबु अर बिका मसी को राज ह, अर बो जुग-जुग ताँई राज करसी।”
अर थे म्हानै बिचासबा मना द्यो पण बुराईऊँ बचाओ।
इकै पाछै मनै ओज्यु बोळासारा मिनखा को एकसागै हेलो सुण्यो। ओ हेलो अंय्यां लागर्यो हो जंय्यां की पाणी का झरना की नहिस बादळा की गरजबा की उवाज हो। बे मिनख गार्या हा, “हालेलुया! क्युं क आपणो सऊँ सक्तिसाली परमेसर राज करै ह।
इकै पाछै मनै ईस्बर नगरीऊँ जोरको हेलो सुण्यो, “इब म्हारा परमेसर को छुटकारो, सक्ति, अर बिको राज अर मसी को अधिकार परगट होयो ह। क्युं क म्हारा भाईड़ा प दोस लगाबाळो, जखो रात-दिन म्हारा परमेसर क सामै बापै दोस लगाया करतो हो, बिनै तळै फेक दिओ गयो ह।