19 बे आपकै उपर धूळ गेरता अर बार-घोड़ो मचाता बोलबा लाग्या, “ ‘हाय इ सऊँ बडी नगरी प, जिकी जायजादऊँ समदर म झाज चलाबाळा पिसाळा बणग्या। पण देखो! बा घड़ी भर मई नास होगी।’
बे बिकी आ दुरगती देखर डर का मार्या दूर खड़्या बार घालसी, “ ‘सऊँ बडी नगरी तेरै प हाय, बाबुल सक्तिसाली नगरी, देखो! घड़ी भर मई तेर प स्यामत आ पड़ी।’
क्युं क सगळा देस, बिका कुकरम की झाळ भरी अँगूरी पी। इ धरती का सगळा राजा बिकै सागै कुकरम कर्या , अर इ धरती का सगळा लेणदेण करबाळा, बिकी भोगबिलास की बजेऊँ पिसाळा होगा।”
इ बजेऊँ बिपै एक दिन मई बिपदा आ पड़सी। मोत, सोक, काळ बिपै पड़सी। अर आग बिनै बाळ गेरसी, क्युं क सऊँ सक्तिसाली परबु परमेसर बिको न्याय करसी।
बे दस सींग अर जि खुखार ज्यानबरनै तू देख्यो हो बे बि सऊँ बडी बेस्याऊँ नफरत करसी बे बिको सक्यु खोसर बिनै उघाड़ी कर देसी। अर बिको मास खाज्यासी अर बिनै आग म बाळ गेरसी।