18 अर जद बे बि नगरीनै बळता अर बिमऊँ धुँआ उठता देख्या जणा बे जोरऊँ बोल पड़्या, ‘के इ सऊँ बडी नगरी की जंय्यां कोई नगरी होई?’
मिनख बि अजगरनै धोकबा लाग्या क्युं क बो आपको सगळो अधिकार बि खुखार ज्यानबरनै दे दिओ हो। अर बे बि डरावना जानबरनै बी धोकर खेबा लाग्या, “इ जानबर जत्तो सक्तिसाली कोई कोनी। अर इऊँ लड़बा की हिमत कोईकी इ कोनी।”
बे जुग-जुग ताँई बिमै पिड़ा भोगसी। अर जखाबी मिनख बि जानबर अर बिकी मूरतीनै धोकसी अर बिका नाम की छाप लेसी बानै रात-दिन चेन कोनी मिलसी।”
अर बडी नगरी का तीन टुकड़ा होगा, अर पापी मिनखा की सगळी नगर्या नास होगी। परमेसर बाबुल नगरीनै सजा देबा ताँई याद कर्यो जिऊँ क बो बिनै आपका परकोपऊँ भरेड़ो अँगूरी को प्यालो पिलावै।
बार घालसी, “ ‘हाय इ सऊँ बडी नगरी प, जखी पेल्या मलमल, बैंगणी, अर सिलक का गाबा पेर्या करती अर सोना, हिरा अर मोत्याऊँ सज्या करती ही।