13 दाळ चीणी, गुलमेंदि, धूप, गंधरस, लोबान, अँगूरी, जेतून को तेल, मैदो, ग्युं, गाय, बैल, लल्डी, रथ घोड़ा। मिनखानै गुलाम बणाबा ताँई बी बेची ही।
अर बे लालची होबा की बजेऊँ थानै दिखावटी बाता बोलर थारूँ धन कमासी। अर बाकी सजा तो पेल्याऊँई परमेसर ते कर राखी ह। अर बाको नास बानै उडिकर्यो ह।
कुकरमी, आदमी आदमी क सागै कुकरम करबाळा, मिनखानै बेचबाळा, झूठ बोलबाळा, अर झूठी सोगन खाबाळा, आकै अलावा खरी सीख को बिरोद करबाळा ताँई बताएड़ा ह।
“बे बोलसी, ‘हे बाबुल नगरी! जखी चिजा म तेरो हियो बसर्यो हो बे सगळी तनै छोडर चलेगी। तेरो सगळो भोगबिलास अर तेज नास होगो अर नइ तनै ओज्यु कदै मिलै।’
बे लेणदेण करबाळा जखा आ चिजानै बेचर पिसाळा बणगा हा, बे बिकी आ दुरगती देखर रोता बिलखता अर डर का मार्या दूर खड़्या होर,