10 बे बिकी आ दुरगती देखर डर का मार्या दूर खड़्या बार घालसी, “ ‘सऊँ बडी नगरी तेरै प हाय, बाबुल सक्तिसाली नगरी, देखो! घड़ी भर मई तेर प स्यामत आ पड़ी।’
बे आपकै उपर धूळ गेरता अर बार-घोड़ो मचाता बोलबा लाग्या, “ ‘हाय इ सऊँ बडी नगरी प, जिकी जायजादऊँ समदर म झाज चलाबाळा पिसाळा बणग्या। पण देखो! बा घड़ी भर मई नास होगी।’
इ बजेऊँ बिपै एक दिन मई बिपदा आ पड़सी। मोत, सोक, काळ बिपै पड़सी। अर आग बिनै बाळ गेरसी, क्युं क सऊँ सक्तिसाली परबु परमेसर बिको न्याय करसी।
बिकै गेलकी गेल दुसरो ईस्बर नगरी दुत आर बोल्यो, “‘बडी नगरी बाबुल नास हो! नास हो,’ आ नगरी सगळा मिनखानै आपकी कुकरम की वासना की अँगूरी पिलाई ही।”
“अर जखा दस सींग तू देख्यो हो बे बी दस राजानै दिखावै ह, पण बानै इबी ताँई राजपाट कोनी मिल्यो, पण आनै बि खुखार ज्यानबर क सागै क्युं क टेम ताँई राज करबा को हक दिओ ज्यासी।
बाकी लास बी बडी नगरी का चोराया प म्हेलदि ज्यासी। इ नगरीनै बिकी बुराई क चलतै सदोम अर मिसर का नामऊँबी बुलायो जावै ह। आ बाई नगरी ह जठै बाका परबुनै सुळी प चढायो गयो हो।
अर बडी नगरी का तीन टुकड़ा होगा, अर पापी मिनखा की सगळी नगर्या नास होगी। परमेसर बाबुल नगरीनै सजा देबा ताँई याद कर्यो जिऊँ क बो बिनै आपका परकोपऊँ भरेड़ो अँगूरी को प्यालो पिलावै।
अर जद बे बि नगरीनै बळता अर बिमऊँ धुँआ उठता देख्या जणा बे जोरऊँ बोल पड़्या, ‘के इ सऊँ बडी नगरी की जंय्यां कोई नगरी होई?’
आ बाता क पाछै एक ताकतबर ईस्बर नगरी दुत चाकी का भाठा की जंय्यां की बडीसारी ढाड उठार बिनै समदर प फेकतो होयो बोल्यो, “आ बाबुल नगरी बी, इ भाठा की जंय्यां फेक दि ज्यासी, अर ओज्यु कदैई कोनी लाधसी।