7 बिकै पाछै म बेदीऊँ उवाज सुण्यो, “ओ परबु परमेसर थे सऊँ सक्तिसाली हो। थारो न्याय सचो अर सई ह।”
बाको न्याय सदाई सचो ह, क्युं क बे बि बेस्या को न्याय कर्या हीं, जखी धरती का मिनखानै कुकरम करवाती, अर बानै बिगाड़ती ही, अर बो बिऊँ आपका दासा का लोय को बदलो लिओ ह।”
बिकै पाछै बो उन्यो पाचवी म्होर की चेपी खोली, जणा म बेदी क तळै बा मिनखा की आत्मा देखी जानै परमेसर का चोखा समचार अर गुवाई देबा की बजेऊँ मार दिओ गयो हो।
जदई एक ओर ईस्बर नगरी दुत जिनै आग प अधिकार हो, बेदीऊँ निकळ्यो, अर जिकै कनै पेनो हसियो हो, बिनै जोरऊँ हेलो देर बोल्यो, “तेरा पेना हसियाऊँ धरती की बैलऊँ अँगूरा का गुछा काट ले क्युं क इका अँगूर पकगा हीं।”
जणा बो परमेसर का परकोप की अँगूरी जखी बाकी झाळ हाळा प्याला म घाली गई ह, बिनै पिसी अर पबितर ईस्बर नगरी दुता क सामै अर उन्या क सामै आग अर तिजाब की पिड़ा भोगसी।
“जिनै केद म जाणो ह, बो केद म ज्यासी, जिनै तलवारऊँ मार्यो ज्यासी, बो तलवारऊँ मरसी।” इमई परमेसर का मिनखानै थ्यावस अर बिस्वास राखबा की जुर्त ह।
परबु परमेसर, जखो ह, जखो हो अर जखो आबाळो ह, जखो सऊँ सक्तिसाली ह बो खेवै ह, “मई अलफा अर ओमेगा हूँ।”