21 आसमानऊँ मण-मण का ओळा मिनखा प पड़र्या हा। अर इ म्हामारी की बजेऊँ मिनख परमेसर की बुराई करर्या हा। क्युं क आ म्हामारी बोळी भेंकर ही।
इकै पाछै परमेसर का मनदरनै जखो ईस्बर नगरी म ह बिनै खोल्यो गयो, अर मनै मनदर म करार हाळी पेटी दिखी। बिकै पाछै बिजळी को पळको आयो, बिजळी की कड़कबा की उवाज आई अर बादळ की गरजबा की उवाज होई, भूचाळ आयो अर ओळा बरसबा लाग्या।
जिऊँ बे मिनख भेंकर गरमीऊँ तपगा अर परमेसर का नाम की बुराई करबा लाग्या जिकै बस म आ म्हामारी ही , पण बे तौबा कोनी कर्या अर नइ परमेसर की मेमा करी।
बे मिनख दरद अर गुमड़ा की बजेऊँ ईस्बर नगरी का परमेसर की बुराई करर्या हा, पण बे आपका कामाऊँ तौबा कोनी कर्या।
पेलो ईस्बर नगरी दुत जंय्यांई तूताड़ी बजाई बंय्यांई ओळा, लोय अर आग एक सागै मिलेड़ी दिखी। अर बानै धरती प फेक दिओ गयो जिऊँ धरती अर दरख्ता को एक तिहाई भाग बळर राख होगो, अर सगळी हरी घास बी बळगी।