अर गेलड़ा दिना म थे इ जगत का कूगेला प चालता हा, अर सगळी सूगली ओपरी बलाया का राजा को कह्यो कर्या करता हा, आ आत्मा बा मिनखा प हक जमावै ह जखा परमेसर का हुकमानै कोनी मानै।
इकै पाछै परमेसर का मनदरनै जखो ईस्बर नगरी म ह बिनै खोल्यो गयो, अर मनै मनदर म करार हाळी पेटी दिखी। बिकै पाछै बिजळी को पळको आयो, बिजळी की कड़कबा की उवाज आई अर बादळ की गरजबा की उवाज होई, भूचाळ आयो अर ओळा बरसबा लाग्या।