12 छठो ईस्बर नगरी दुत आपको प्यालो बडोड़ी नदि फरात प उंदका दिओ, जिऊँ बिको पाणी सूकग्यो। अर बिको पाणी सूकबाऊँ अगुणी दिसा का देसा का राजा ताँई गेलो बणगो।
बा उवाज बी छठा ईस्बर नगरी दुतनै बोलरी ही जखो तूताड़ी ले राखी ही, “बा फरात म्हानदि क कनै भंदेड़ा च्यारू दुतानै छोडदे।”
बो ईस्बर नगरी दुत मेरूँ ओज्यु बोल्यो, “तू जखी नद्या देखी ही जाकै किनारै बा सऊँ बडी बेस्या बेठी ही, बे नद्या सगळा कूणबा का मिनखानै, सगळी बोली बोलबाळानै, देस-देस का मिनखानै, सगळा देसानै दिखावै ह।
अर म एक ओर ईस्बर नगरी दुतनै अगुणी दिसाऊँ उपर आतो देख्यो, बो जीवता परमेसर की म्होर ले राखी ही। बो बा च्यारू दुतानै जानै धरती अर समदर को नास करबा को हक दिओ गयो हो बाऊँ जोरऊँ बोल्यो,
दुसरी विपदा बितगी पण तीसरी विपदा बेगिई आबाळी ह।